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दिसंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

न जाने तुझमें ऐसा क्या है

न जाने तुझमें ऐसा क्या है तुम्हें देखते ही तुम्हारा मैं हो गया भोली सी सूरत हसीन जुल्फों में मैं खो गया आपकी वादो में अपनी मंजिलों को तलाश करता हूं चाहे जिस तरह इंतहान ले लो मैं तुमसे प्यार करता हूं  वह अपनों से ज्यादा गैरों से करती है मोहब्बत अगर इतनी मोहब्बत अपनों से करती जिंदगी मझधार में नहीं होती अपनों को जीने का सहारा मिल जाता नहीं भटकते प्यार के लिए दर-दर जिंदगी के मझधार में किनारा मिल जाता

मुझे गुरूर हो चुका था

मुझे गुरूर हो चुका था की उससे प्यार हो चुका है मन के पंछी आसमान छू रहे थे मुझे क्या मालूम था एक दिन ऐसा भी आएगा खुद को भूल जाने की बात मुझ तक पहुंचाएगी 

वादों का क्या है

 वादों का क्या है विचार बदलते ही वादे टूट कर बिखर जायेंगे गिर कर आंसू सूख जाएंगे आंखों से एक रुमाल भी नहीं छोड़ेगी जिससे तुम्हारे आंसुओं को पोछा जा सके